हरियाणा सरकार की नई गाइडलाइन्स: निजी स्कूलों की मनमानी पर लगेगी लगाम

हरियाणा सरकार के निजी स्कूलों के लिए नए दिशा-निर्देश
हरियाणा की शिक्षा नीति पर नवीनतम अपडेट

हरियाणा सरकार के निजी स्कूलों के लिए नए दिशा-निर्देश

प्रकाशित: 14 अप्रैल, 2025 |

हरियाणा सरकार ने हाल ही में एक सराहनीय कदम उठाते हुए निजी स्कूलों के लिए नई गाइडलाइन्स जारी की हैं, जिनका उद्देश्य अभिभावकों को राहत देना और शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाना है। राज्य के शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी इन दिशा-निर्देशों के मुताबिक अब निजी स्कूल पाँच साल तक स्कूल ड्रेस नहीं बदल सकेंगे और ना ही अभिभावकों को किताबें, कॉपियाँ, स्टेशनरी या अन्य जरूरी सामान किसी विशेष दुकान से खरीदने के लिए बाध्य कर सकेंगे।

यह फैसला अभिभावकों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि अब उन्हें हर साल बच्चों की ड्रेस या किताबों के नाम पर महंगी खरीदारी नहीं करनी पड़ेगी। साथ ही, यह नियम स्कूलों की उस मनमानी पर भी रोक लगाएगा जिसमें वे एक विशेष दुकान से ही खरीदारी करने का दबाव बनाते थे, जिससे कई बार आर्थिक बोझ बढ़ जाता था।

निजी स्कूलों पर सख्त निर्देश

शिक्षा निदेशालय ने यह साफ किया है कि कोई भी निजी स्कूल अब छात्रों से यह नहीं कह सकता कि वे किताबें, स्टेशनरी, बैग, जूते आदि केवल किसी एक तय दुकान से ही खरीदें। इस प्रकार के किसी भी दबाव या आदेश को अब नियमों का उल्लंघन माना जाएगा। यदि कोई स्कूल इन नियमों का पालन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

शिकायत दर्ज करें

यदि कोई स्कूल इन नियमों का उल्लंघन कर रहा है, तो आप यहां शिकायत दर्ज करा सकते हैं:

हेल्पलाइन नंबर: 0172-5049801

ईमेल: dseps13@gmail.com

स्कूल मान्यता को लेकर भी सख्ती

हरियाणा के शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जिन निजी स्कूलों की मान्यता अब तक पूरी नहीं हुई है, वे जल्द से जल्द सभी मापदंडों को पूरा करें ताकि मान्यता दी जा सके। यह निर्देश शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने और छात्रों को बेहतर माहौल देने के उद्देश्य से जारी किए गए हैं।

सरकारी स्कूलों में प्रवेश उत्सव के लिए बजट

सरकारी स्कूलों की बात करें तो शिक्षा निदेशालय ने एक और पत्र जारी किया है जिसमें सभी सरकारी स्कूलों में प्रवेश उत्सव के आयोजन के लिए 5,000 रुपये तक का बजट तय किया गया है। इस बजट का उपयोग स्कूलों में नए सत्र के आरंभ पर विद्यार्थियों के स्वागत के लिए किया जाएगा। विभाग ने सभी सरकारी स्कूलों से इसकी रिपोर्ट भी मांगी है ताकि यह देखा जा सके कि इस धन का सही उपयोग हो रहा है या नहीं।

यह कदम क्यों है जरूरी?

भारत में शिक्षा क्षेत्र में कई बार निजी स्कूलों द्वारा अनावश्यक फीस वसूली, ड्रेस और किताबों के नाम पर मुनाफाखोरी की खबरें आती रही हैं। इससे मध्यमवर्गीय और गरीब परिवारों पर आर्थिक दबाव बढ़ता है। हरियाणा सरकार का यह कदम न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से फायदेमंद है, बल्कि यह शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और अनुशासन लाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।

अभिभावकों की भूमिका और जागरूकता

इन दिशा-निर्देशों का सही लाभ तभी मिल सकता है जब अभिभावक जागरूक बनें और यदि कोई स्कूल नियमों का उल्लंघन करता है तो उसकी शिकायत करें। सरकार ने इसके लिए न केवल हेल्पलाइन नंबर जारी किया है, बल्कि ईमेल पर भी सीधे संपर्क करने की सुविधा दी है। इससे आम लोगों को यह विश्वास मिलेगा कि उनकी बात सुनी जाएगी और कार्रवाई भी होगी।

निष्कर्ष

हरियाणा सरकार की यह पहल निश्चित रूप से एक सकारात्मक कदम है। इससे ना केवल निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगेगी, बल्कि अभिभावकों को भी आर्थिक रूप से राहत मिलेगी। शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता, समानता और गुणवत्ता लाने के लिए ऐसे फैसले बेहद जरूरी हैं। उम्मीद है कि अन्य राज्य भी इस प्रकार की पहल करके शिक्षा प्रणाली को और अधिक मजबूत और जनहितकारी बनाएंगे।

आपकी राय महत्वपूर्ण है

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